साथियों
आप सभी आदिवासी समाज को जन जागृति के लिए छोटी छोटी बहुत महत्वपूर्ण जानकारियाँ ।
इस कोयापुनेम गोण्डीयन गाथा में आपको बहुत छोटी परंतु महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। भारत के संविधान मे अनुच्छेद 14(4),16(4) और 335 के तहत हमें शिक्षा और नौकरी मे आरक्षण भी दिया गया है ।अनुच्छेद 275 मे यह प्रावधान है कि भारत सरकार का बजट बनाते समय आदिवासी समाज के लिए अलग से पैसा सुरक्षित रखना होगा ।यह सब 'स्वयं शासन ' माल्कियत एवं आरक्षण के अधिकार ' हमें डा• बाबा साहब अंबेडकर जी के अथक प्रयासों और संघर्षों से प्राप्त हुआ।
संविधान की पाँचवी अनुसूची इसलिये काफी महत्वपूर्ण है क्यूंकि इस देश के 138 करोड़ जनता में से 8.6%(10 करोड़) आदिवासियों की जनसँख्या पाँचवी अनुसूची के क्षेत्र में निवास करते हैं तथा लगभग 3,4 करोड़ लोग छटवीं अनुसूची के क्षेत्र मे रहते हैं । संविधान की धारा 330 और धरा 332 के तहत अनुसूचित जाति,जनजाति के लोगों के लिए राजनैतिक आरक्षण का प्रावधान किया गया है ।
धारा 330 के तहत लोक सभा की अनुसूचित जाती के लिए 77 सीटें रिजर्व हैं ।और अनुसूचित जाति के लिए 42 सीटें रिजर्व है ।तथा धारा 332 के तहत विधनसभा मे अनुसूचित जाति को जहाँ 600 सीटें रिजर्व है वहीँ अनुसूचित जनजाति के लगभग 400-450 विधायक सारे देश भर से विधान सभा मे चुन कर जाते हैं ।
संविधान की पाँचवी अनुसूची में यह प्रावधान है कि लोक सभा या किसी भी राज्य की विधानसभा चाहे जो भी कानून बनाये,यदि आदिवासियों की सलाहकार परिषद उस कानून को आदिवासी मे लागू करवाना नहीं चाहते हैं तो लोक सभा और विधानसभा द्वारा बनाया हुआ कोई भी कानून भारत के किसी भी कोने में लागू नहीं होगा,
मगर आज क्या हो रहा है ?
जल परियोजना के तहत आदिवासियों की जमीन हड़प कर वहां डैम बनाने जा रहे हैं । डैम बनाने की वजह से आदिवासी विस्थापित हो रहे हैं ।
संविधान के पाँचवी अनुसूची और छटवीं अनुसूचि में कहा गया है कि आदिवासी और अनुसूचित क्षेत्र में रहनें वाले लोग काफी शोषित है ।आदिवासी की सभ्यता,उनकी जमीन, उनकी जंगले ,वहीँ की खनिज संपदा और आदिवासी की कला और संस्कृति को सुरक्षित रखने का प्रावधान इस अनुसूची में किया गया है ।मगर पिछ्ले 60 साल का इतिहास देखा जाये तो शासन और प्रशासन स्तर पर इन प्रावधानों का बिल्कुल उल्टा काम किया गया है ।
धन्यवाद,
आशा करता हूँ यह जानकारी आदिवासी समाज के लिए लाभदायक होगी ।।
कोयतुर - आर के नयताम
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