फरसा के फूल

 

*जय सेवा जय जोहार जय गोंड़वाना* 

*प्रकृति के सात रंगों को समेटे प्राकृतिक फूल..*

          *★...परसा फूल...★*

कुदरत ने महुआ फूल के अलावा इस धरती पर ऐसा कोई फूल ही नही बनाया है जो कई साल तक तरोताज़ा रहे.. *इसलिए महुआ फूल इस धरती का अमृत और पेड़ को कल्प वृक्ष माना जाता है..!*

जिस प्रकार गोंड समाज में *महुआ के पेड़* का महत्व है उसी प्रकार *परसा पेंड* का भी अपना महत्व है..!

सूर्य की किरणों के सात रंग अर्थात प्रकृति के सात रंग होते है, इस धरती के सभी पेड़ पौधों के फूलों का अलग अलग रंग होता है....लेकिन  *"परसा फूल" को छोड़कर इस धरती पर ऐसा कोई फूल ही नही है, जो एक फूल में एक साथ "सातों रंगों" का समावेश हो..*

परसा पेन = प्राकृतिक शक्ति

      परसा = प्रकृति 

परसा फूल = प्राकृतिक फूल....

*धरती पर ये नज़ारा वर्ष  के अंतिम फाल्गुन माह और नया वर्ष की शुरुआत चैत्र माह में ही देखने को मिलता है..!*

इसलिए फाल्गुन के पूर्णिमा के दिन बीते साल की बिदाई और  नए साल के आगमन की खुशी में सात रंगों का फाल्गुन त्यौहार मनाया जाता है. !

*ये प्रकृति का प्राकृतिक चक्र है ~*  This is a natural finomina of nature....

पतझड़ के बाद सभी पेड़ पौधों में नए पत्ते आना, और रंग बिरंगे फूल खिलना, फूल में बीज धारण करना, बीज का होना...

*प्रकृति में सबसे पहले परसा के फूल का खिलना एक फूल में प्रकृति के सातों रंग का होना....* ये प्रमाणित करता है कि *धरती माता नया फसल के लिए परिपक्व हो रही है.* फाल्गुन के बाद धरती (माता) तपेगी अर्थात गर्मी में आएगी, तब आकाश (पिता) से पानी बरसेगा तब... *धरती माता के गर्भ से अनेकों प्रकार के जीव जंतु, पेड़ पौधे पैदा होंगे... नया फसल होगा..!* नया साल के आरम्भ में सबसे पहले खिलने वाला फूल परसा फूल होता है जो प्रकृति के सातों को समेटे हुए होता है... *इसलिए गोंड़ प्रकृति शक्ति को परसा पेन के रूप में मानते है..!*

यूँ तो परसा पेड़ का जड़ से लेकर फूल बीज पत्ता तक काम आता है... *लेकिन छत्तीसगढ़ के गोंड समाज में परसा पत्ता के महत्व के बारे में बताऊंगा..!!*

*गोंड समाज में परसा  पत्ता का महत्व..* हंमारे इधर गोंड समाज में *फाल्गुन पूर्णिमा के बाद अक्ती त्यौहार तक* परसा के पत्ता का उपयोग ही नही करते... *अक्ती में पुरखों को पानी देने के बाद ही परसा का उपयोग करते है*



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