हर आदिवासी समुदाय की अपनी अपनी अलग मान्यताएं हैं , जो कही न कही प्रकृति से जुडी होती है . इन मान्यताओं में अक्सर कई चिकित्सक /ओषधिय जानकारियां निहित रहती है ये ओषधिय जानकारियां समुदाय के लोग मान्यताओं के रूप में पीढ़ी दर पीढ़ी स्थान्तरित करते रहते हैं.
धुर्रा एक तरह की बेल है ओर यह दो प्रकार की होती है एक में लाल बीज होते हैं औए एक में सफ़ेद बीज होते हैं ,लाल बीज वाला पौधा प्रायः आस पास दिख जाता है पर सफ़ेद बीज वाला पौधा बहुत कम पाया जाता है ,इसके बीज और जड़ दोनों को इस्तेमाल में लाया जाता है ,जब बच्चे छोटे होते हैं तब बच्चे के कमर में इसके बीज को माला बना कर पहेनाया जाता है ताकि बच्चे को नजर ना लगे और इसके जड़ को लू होने पर पानी के साथ पिया जाता है .
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