!जय जोहर !
जोहर शब्द भारत के मूल आदिवासियों को एकता में बाँधने वाला एक लोकप्रिय शब्द होता है।
छत्तीसगढ़ ,महाराट्र ,मध्यप्रदेश ,झारखण्ड ,बिहार ऐसे हमारे भारत देश में बहुत से राज्य हैं जहाँ आदिवासी करते हैं. वे अपने लोगो को अभिवादन करने के लिए "जय जोहर /जय सेवा /सेवा जोहर '' का उपयोग करते हैं.
"जोहर " प्राकृत भाषा शब्द है जिसका अर्थ 'अभिवादन 'अभिनन्दन 'स्वागत और बोलचाल की भाषा में हाल - चाल पूछना होता है
आदिवासी समुदाय में "जोहर " शब्द का अर्थ -प्रकृति की जय हो ' अर्थात हम इस पृथ्वी के अंग हैं जिसमें सभी प्रकार के जिव- जंतु पेड़ -पौधे' वनष्पति 'जल 'जंगल'जमींन ' पशु' पंछी 'औषधि 'हवा 'पानी'नदी'कुआं 'तालाब आदि समस्त चीजों से ही का अस्तित्व है।
अगर सारी चीजें न हों तो हम मनुष्यों का जीवन दुर्लभ यानि कठिन हो जाता जिससे हम मानव पृथ्वी में अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जायेगा।
इस पृथ्वी के सम्पूर्ण मानवजाति को एक दूसरे को अभिवादन में जोहार बोलकर करना चाहिए ,इस प्रकार मनुस्य प्रकृति को धन्यवाद और उसका शुक्रगुजार करना चाहिए। भारत के कई राज्यों में जहाँ आदिवासी निवास करते हैं वे अपने अभिवादन में जैसे गोंड ट्राइब सेवा जोहार बोलकर अभिवादन करते हैं भारत के भील प्रदेश के अबॉर्जिनल भील ट्राइब जोहार करते हैं. झारखण्ड प्रदेश के आदिवासी लोग उलगुलान जोहार , हुल जोहार बोल कर अभिवादन करते हैं।
जोहार शब्द आदिवासी के सामाजिक एवं राजनैतिक एकजुट एवं शक्ति का प्रतीक बन गया है और भारत के सभी आदिवासी समुदाय को एकसूत्र में बंधने कार्य जोहार शब्द ने किया है.वर्तमान भारत में भारत के राज्यों आदिवासी समुदाय अब अपने अभिवादन में जोहार शब्द का प्रयोग करना गर्व की बात समझते हैं।
जो लोग जोहर शब्द के विरोधी हैं जोहार को घृणा या लज्जा समझते हैं मैं उन्हें बता देना चाहता हूँ की जोहार शब्द किसी धर्म या सम्प्रदाय का परिचायक नहीं बल्कि यह शब्द सामाजिक एकता और अखंडता का प्रतिक है।
अंतःजोहार शब्द न तो अपभ्रस भाषा है और न ही यह शब्द संस्कृत भाषा का शब्द है बल्कि यह प्राकृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ " प्रकृति की जय हो " है ,प्राकृत और प्रकृति से जुड़े हुए समुदाय ही जोहार शब्द का प्रयोग अपने अभिवादन में किया करते हैं 'जोहार ' शब्द पीछे छिपा भारत का अति प्राचीन इतिहास को समझाना अति आवश्यक है।
अतः प्रकृति को आत्मसात करने वाले भारत के प्राचीन समुदायों द्वारा हजारों वर्षों से इस शब्द सजो कर रखें हैं और अब यह शब्द भारत के आदिवासी समुदायों के एकता और अखंडता को कायम करने वाला 'शब्द' बन गया है.
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