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कोया पुनेम का अन्तिम लक्ष्य सगा जन कल्याण करना है,उसके लिए उसने जय सेवा मन्त्र का मार्ग बताया है,जय सेवा याने सेवा का भाव जय जय कार करना अर्थात् एक दुसरे की सेवा करके सगा कल्याण साध्य करना,उसके लिए उसने त्रैगुण मार्ग बताया है जो हमारे बौद्धिक मानसिक और शारीरिक कर्म इन्द्रियों से सम्बंधित है,मनुष्य इस प्रकृति का ही अंग है प्रकृति की सेवा उसे हर वक़्त प्राप्त होती रहे इसलिये प्रकृती संतुलन बनाए रखना अनिवार्य होता है,कोया वंशीय गोंड सगा समाज़ में जो 750 कुल गोत्र हैं उन प्रत्येक गोत्र के लिए एक पशु पक्षी तथा वनस्पतियाँ कुल चिन्हों के रुप में निश्चित कर दी गई है,प्रत्येक कुल गोत्र धारक का कुल चिन्ह है,वह उनकी रक्षा करता है।।

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